डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
"धार्मिक धरा सोनभद्र की"
पावन भूमि, गुफाओं वाली,
चित्रित कथा पुरानी है।
सोनभद्र की माटी साची,
ऋषि मुनियों की कहानी है।
चुर्क पर्वत पर महादेव,
पंचमुख रूप विराजे हैं,
शैलचित्रों में आदिकाल,
मानव गाथा साजे हैं।
शिवद्वार मंदिर गूंजे ज्यों,
खजुराहो की प्रतिमा बोले,
शिव-पार्वती आलिंगनबद्ध,
सृष्टि रहस्य उजाले खोले।
मऊ ग्राम का सहस्त्रमुखी,
हजारों रूपों में शिव सजे,
हर दृष्टिकोण में दर्शन हो,
हर भाव में नयन जगे।
नल राजा का विशाल शिवलिंग,
गोल घेरा, गूढ़ अभिप्राय,
भक्ति, शक्ति और ध्यान समेटे,
जैसे ब्रह्म का विराट साय।
बरकन्हरा विष्णु सदा,
श्वेत पत्थर पर प्रकट विशाल,
धर्म, नीति, कर्म का दीपक,
शांति सुधा, जीवन की चाल।
रामगढ़ में शिवाला शोभे,
ताल किनारे पावन धाम,
शिव की आराधना जहां,
धरा करें उनका वंदन काम।
कण्व ऋषि की तपोभूमि में,
गूंजे मंत्रों का मधुर राग,
कंडाकोट की गुफा गवाही,
ज्ञान-ध्यान की अनुपम भाग।
यह मंदिर, आश्रम, तपस्थल,
इतिहास, धर्म, अध्यात्म कहें,
लोक संस्कृति की जीवित धारा,
जो कल भी बोले, आज भी बहें।
करें अध्ययन, खोजें रहस्य,
उलझे सूत्र सुलझाएं हम,
सोनभद्र की इस भू-गाथा को,
शोधक-दृष्टि से अपनाएं हम।
@Dr. Raghavendra Mishra
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