चाणक्य का मस्तिष्क, भारत की शान,
युगों युगों तक गूँजे उनका गान।डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
विष्णुगुप्त नाम, कौटिल्य पुकारा,
तक्षशिला का वह तेज हमारा।
नीति, अर्थ, राजनीति का ज्ञाता,
मौर्य सम्राटों का राज विधाता।।
नंदों के अभिमान को जिसने तोड़ा,
चंद्रगुप्त के हाथों भारत जोड़ा।
साम दाम दंड भेद का वह ज्ञाता,
रणनीति से अद्वितीय निपुण नाता।।
अर्थशास्त्र में रचा राज्य का मर्म,
जहाँ प्रजा का हित ही राजा का धर्म।
दंडनीति का पाठ सिखाया,
मत्स्य न्याय से देश बचाया।।
गुप्तचर जाल बिछाकर चतुराई,
राज्य की रक्षा में नीति दिखाई।
प्रजावत्सल राजा को मंत्र दिया
धर्म अर्थ काम को संतुलित किया।।
चाणक्य नीति के वचन अमूल्य,
जीवन के हर क्षेत्र में अनुकूल।
शत्रु मित्र को पहचानो समय पर,
व्यवहार में रहो सजग तम डगर।।
वे केवल शिक्षक नहीं, विश्वऋषि थे
भारत की माटी में जन्मे गुरु महर्षि थे।
आज भी उनकी नीति में बल है,
कौटिल्य का यश अक्षुण्ण अमर है।।
चाणक्य का मस्तिष्क, भारत की शान,
युगों युगों तक गूँजे उनका गान।
राष्ट्र निर्माण का जिसने दीप जलाया,
महामना को शत शत नमन उर सजाया।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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