ऑपरेशन सिन्दूर आतंक के विरुद्ध युद्ध
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
सिन्दूर ही है हमारा सौभाग्य, यह रण का आह्वान है,
माँ की मांग में जो खून बहे, अब भारत का सिंह बान है।
आतंकी दुष्टों को काटे, ब्रह्मोस वज्र हुआ सीना,
ऑपरेशन सिन्दूर चला, खतम कर सभी आतंकी का जीना।।
जम्मू की घाटी पूछ रही थी "कब तक छाँव में कांटे होंगे?"
सीना छलनी कर भारत का, कब तक शत्रु साँसे लेंगे?
तब उठे जवान, आँखों में अंगार लिए, होठों पे जयघोष,
अब न झुकेंगे, अब न रुकेंगे, यही है सभी सैनिकों का जोश।।
बर्फ़ीली रातों में तपकर, चट्टानों से टकरा आए,
बिन नींद, बिन चैन, वीरों ने आतंकी को मार भगाए।
हर गोली का उत्तर दे दिया, गर्जना बन कर गोला,
सिन्दूर बना अब रक्षक, जो मिटा दे हर आतंक का चोला।।
जहाँ बहा वीरों का रक्त, वहीं उगेगा नव युग का भारत,
जिसने देश को आँख उठाया, घूस के मारेंगे, होगा महाभारत।
शपथ है यह हर फौजी की, हर धड़कन में है हिंदुस्तान,
जियेंगे अगर, तो भारत के लिए; मरेंगे भी तो भारत के नाम।।
एक ने शरीर ढाल दिया, एक ने प्राणों को दीप बनाया,
एक ने अंतिम सांस तक हँसते-हँसते रणध्वज लहराया।
जननी ने बाँधे कलेजे और कहा यह सिन्दूर मेरा है,
जिसने बेटे को खोया, कहा उसने भारत का नूर मेरा है।।
ऑपरेशन सिन्दूर की गाथा, शौर्य की अमर पुकार बनी,
जहाँ राष्ट्र सर्वोपरि रहा, और सेना आत्मसम्मान बनी।
वीरों को प्रणाम हमारा, जय भारत, जय वीर जवान,
तुमसे है ये भूमि पावन, तुमसे है सबका अभिमान।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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