भारत के ज्ञान ज्योति की नई कहानी
(NEP - 2020 और IKS केंद्रित कविता)
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
सहस्त्राब्दियों की थाती लेकर, भारत फिर से जाग रहा,
ज्ञान ज्योति की नव वेला में, नवयुग का दीपक लाग रहा।
संस्कृति, विज्ञान, दर्शन की, फिर से बंसी बाज रही,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, नवभारत को साज रही।।
गुरुकुल की वह पावन परंपरा, वेदों की अमृत वाणी,
अब डिजिटल पाठशाला बन, फिर से कहे वह कहानी।
पाँच तीन तीन चार की संकल्पना, बालक मन को सींचे,
मातृभाषा में हो पाठ सजे, ज्ञान का दीपक खींचे।।
शोध, नवाचार, प्रयोग की धारा,
NRF से होवे पवित्र सुधारा।
क्रेडिट बैंक की चाबी से,
हो अवसर नित्य तुम्हारे भावी से।।
भारतीय ज्ञान पद्धति का अमृत,
फिर से रस बरसाने आया।
आयुर्वेद, योग, गणित, वास्तु,
वेदांत का दीपक जगमगाया।।
अक्षर अक्षर में हो दर्शन का रंग,
संगीत, शिल्प, नृत्य का संग।
सांख्य, न्याय, वैशेषिक प्राचीन,
विज्ञान तंत्र का मर्म नवीन।।
तक्षशिला, नालंदा के स्वप्न,
अब फिर से हों जीवंत, अनुपम।
ज्ञान, करुणा, सेवा का संग,
IKS से बने सनातन संघ।।
अर्थनीति, धर्म, सहअस्तित्व की बात,
चरक सुश्रुत के सूत्रों की सौगात।
पंचमहाभूत का विज्ञान,
होय पुनः शिक्षा का गुणगान।।
आधुनिकता का हो समन्वय,
परम्परा का दीप न बुझे कहीं।
NEP 2020 और IKS के संग,
भारत रच रहा स्वर्णिम गाथा यहीं।।
चलो उठे अब युवा वीर,
ज्ञान से करें राष्ट्र को धीर।
भारत के भाल पर फिर से दमके,
वेदों का सनातन ज्ञान पुनः चमके।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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