Tuesday, 13 May 2025

संत सत्ता के उज्ज्वल दीपक,
सनातन धर्म के सच्चे पालनहार।।

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)

(विजिटिंग फैकल्टी, NSD, नई दिल्ली तथा काशी विद्वत परिषद, सदस्य, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत)

हिमगिरि की शांत गुफाओं में, साधक का स्वर गूंज उठा,
कैलाश समान स्थिर चेतना, तप में योगी पूंज उठा।
निरंजनी अखाड़ा के दीपक, धर्मध्वजा के अमिट निशान,
भारत भू पर चमके गुरुवर, संतों के आदर्श महान।।

बचपन से ही जगी पिपासा, आत्मबोध की अमर तलाश,
संन्यास पथ के पावन राही, जिनसे जुड़ी सनातन आश।
गंगातट की लहरों में गूंजे, वेदों के स्वर, उपनिषद् ज्ञान
,

त्याग, तप और सेवा के संग, रचते धर्म का शुभ गान।।

महामंडलेश्वर के पद पर, ज्योतिर्मय व्यक्तित्व बना,
प्रेम, करुणा, समता, सेवा, जिनके अंतर में रस घना।
गौसेवा से अन्नदान तक, हर प्राणी में शिव समर्पन,
धर्मरक्षक, समाज शिक्षक, लोककल्याण का उत्सव दर्शन।।

विदेशों तक गूँजा प्रताप, शिष्य बने विश्व के लाल,
सनातन की पावन वाणी में, जागृत कर दी भक्ति विशाल।
भारत गौरव से सम्मानित, तपस्या का सच्चा अभियान,
कैलाशानंद गिरी महाराज, संत परंपरा का अमृत पान।।

रुद्राभिषेक की अविरल धारा, शिवतत्व का चिरस्मरन,
हिमगिरि का तप, गंगाजल सा, निर्मल उनका व्रत धरन।
यति स्वरूप, समभाव मूर्ति, कर्मयोग में सदा लीन,
धर्मसंसद के प्रखर दीपक, ज्योतिर्मय वह पुण्य प्रवीन।।

साष्टांग प्रणाम गुरू चरणों में,
आदरणीय प्रभु आपको नमन बारंबार।
संत सत्ता के उज्ज्वल दीपक,
सनातन धर्म के सच्चे पालनहार।।

@Dr. Raghavendra Mishra 

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