Tuesday, 13 May 2025

चाणक्य का अर्थशास्त्र न केवल ग्रंथ महान,
वह है भारतवर्ष का प्राण, नीति का सुलभ विधान।

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)

तक्षशिला की वीथियों में, एक महामुनि विचरित थे,
कुशाग्र बुद्धि, नीति विवेचक, विष्णुगुप्त वह सुचरित थे।
नंदों के गर्व को चूर किया, मौर्य साम्राज्य रचाया,
चाणक्य नाम अमर हुआ, जिसने भारत को जगाया।।

राज्य संग्रह से आरंभ किया, सप्तांग तंत्र सिखाया,
राजा, मंत्री, जनपद, दुर्ग, कोश, दंड, मित्र को समझाया।
"प्रजा सुखी, सुखी राजा" यह सिद्धांत बताया,
राजधर्म में प्रजाहित को सर्वोपरि बतलाया।।

कोश मूलो दंड कहा, अर्थनीति का पाठ पढ़ाया,
कर संग्रह हो न्याययुक्त, शोषण से दूर हटाया।
धर्म, अर्थ, काम में संतुलन, नीति का सार बताया,
सत्ता के हर निर्णय में, प्रजाहित का मंत्र रचाया।।

साम दाम दंड भेद के प्रयोग की राह दिखाई,
गुप्तचरों की छाया तले, सत्ता की नीति बनाई।
मंडल सिद्धांत में शत्रु-मित्र की पहचान कराई,
षाड्गुण्य नीति के शस्त्रों से कूटनीति सिखलाई।।

धर्मस्थीय न्याय व्यवस्था, अपराधों का दंड विधान,
राज्य को सुदृढ़ रखने का, नीति धर्म का बलिदान।
दास, स्त्रीधन, ऋण विवादों में न्यायपूर्ण समाधान,
चाणक्य की दृष्टि में सबका था उचित सम्मान।।

दुर्ग, सेना, व्यापार, कृषि, विकास की राह बताई,
आर्थिक समृद्धि से ही राज्य की शक्ति दिखाई।
आपद धर्म में नीति को लचीलापन सिखाया,
संकट में धर्म और अर्थ को समयानुसार चलाया।।

विदेश नीति में कौशल, दूतों का व्यवहार,
रणनीति, चालबाजी, गुप्तचर से शत्रु पर प्रहार।
युद्धनीति में चतुराई, छल, बल, युक्ति का संचार,
भारत की रक्षा हेतु नीति का अद्भुत संसार।।

चाणक्य का अर्थशास्त्र न केवल ग्रंथ महान,
वह है भारतवर्ष का प्राण, नीति का सुलभ विधान।
प्रबंधन, राजनीति, कूटनीति का शाश्वत ग्रंथ सुजान,
युगों युगों तक गूँजेगा कौटिल्य का यह गुणगान।।

राज्य, समाज, सत्ता, धर्म सबमें संतुलन लाना,
प्रजा को सुख, राष्ट्र को बल, यही अर्थशास्त्र सिखाना।
कौटिल्य के मंत्रों से ही सशक्त भारत बनाए,
चाणक्य को शत-शत वंदन, जिन्होंने राष्ट्र सजाए।।

@Dr. Raghavendra Mishra 

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