सनातन जम्मू-कश्मीर में मन्दिरों की मणिमाला
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
उत्तर में जहाँ ताज हिमगिरि धरे,
देवों की लीला वहाँ निर्झर बहे।
जम्मू-कश्मीर, तप की धरा रे,
मन्दिरों में वहाँ शुभ धर्मध्वजा फहरे॥१॥
अमरनाथ की गुफा गूंजे,
शिव के नाम का शंख बजे।
हिम से बने लिंग जो प्रकटे,
श्रद्धा से जन मन पुलक उठे॥२॥
त्रिकूटा वासी वैष्णो माता,
शरणागत को रक्षक दाता।
गुफा में दीप धरे मन साथा,
माँ के दर पे झुके हर माथा॥३॥
शंकराचार्य पर्वत की छाया,
शिव समाधि का वह उपाया।
डल झील के ऊपर जो विराजा,
शिव, सत्य, ज्ञान वहाँ सुसाजा॥४॥
मार्तंड सूर्य का पुरातन ध्यान,
ललितादित्य का तेज महान।
खंडहर गाथा कहता बारंबार,
यह सूर्यदेव का दिव्य उपहार॥५॥
रघुनाथ मंदिर जम्मू जन में बसा,
राम नाम का अमृत पुष्प बरसा।
सोने की आभा शिखरों में सजा,
भक्ति है यहां जन तन मन में रजा॥६॥
रणबीरेश्वर, शिवशक्ति स्वरूप,
आठ शिवलिंग जपहि सब भूप।
पूजन होता वहां संग दीप–धूप,
हर भक्त वहाँ हरि का ही रूप॥७॥
महालक्ष्मी जूड़े में चंद्रिका,
धन, ऐश्वर्य की मातरिका।
भक्ति में रमते सब व्यापारी,
माँ के चरणों में अब जीवन सारी॥८॥
नगली साहिब में गुरु छाया,
सिख-हिंदू का एक समर्पण भाया।
भक्ति, सेवा, लंगर का माया,
संघ शक्ति का सुंदर शिव काया॥९॥
श्री भद्रकाली उग्र रूप धारिणी,
रक्षा करें मातृसत्ता की वारिणी।
चामुंडा, दुर्गा, काली सम वाणी
शक्ति स्वरूपा भवानी सब प्राणी॥१०॥
गुप्त गंगा, हरि परबत का गान,
शारदा पीठ ज्ञान का उच्च शान।
जेष्टेश्वरा, महाकाल का उत्तम धाम,
कण-कण शिवमय, क्षण–क्षण सीताराम॥११॥
न जाने कितने तीर्थ बसे,
घाटी में पुण्य कथा सरसे।
हज़ारों मंदिर कुछ विख्यात से,
कुछ वीराने में, वे हैं दिव्यप्रभात से॥१२॥
ओ यात्री! यदि तू यहाँ आए,
श्रद्धा का दीप साथ में लाए।
यह कश्मीर न केवल सौंदर्य मन भाए,
यह सत्य सनातन की अमर वाणी गाए॥१३॥
@Dr. Raghavendra Mishra
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