सनातन जम्मू कश्मीर के देवालय
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
हिमगिरि की छाया में जहाँ गूंजे शिव का नाम,
अमरनाथ की गुफा में बसा है शाश्वत धाम।
हिमलिंग वहाँ प्रकट हो जाते, श्रावण में हर वर्ष,
श्रद्धा, तप और भक्ति से हो जाता जगत हर्ष।।
मार्तंड का वह सूर्य मंदिर, वैभव की इक छाया,
ललितादित्य ने रचा जिसे, जिसकी कथा जन गाया।
खंडहरों में भी तेज है, इतिहास वहाँ मुस्काता,
कश्मीर के भूपों में आज भी वह रश्मि बरसाता।।
शंकराचार्य पर्वत चढ़े, जहाँ शिव ध्यान लगाते,
डल झील की लहरों में भी, मंत्र जपित हो जाते।
श्रीनगर की ऊँचाई पर, मंदिर प्राचीन महान,
जहाँ दर्शन पा भक्त जन, पाते निर्वाण समान।।
जम्मू की नगरी में गूंजे, रघुनाथ का प्यारा नाम,
कृष्ण मंदिरों में सजीव हैं, लीला के विविध धाम।
कुपवाड़ा से बारामुला, पुलवामा से अनंतनाग,
हर नगर गाँव में रचे हैं, श्रीहरि के पावन राग।।
भव्य रथों में शोभा यत्रा, ज्योति उठे हर द्वार,
कश्मीर की माटी भी गाती, वैदिक युग का सार।
सनातन की उस पताका को, आज पुनः लहराएँ,
हर मंदिर में दीप जलाकर, भारत को सजाएँ।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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