डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
"आदरणीय श्रीमान सुनील देवधर जी का संघर्ष"
उत्तर-पूर्व की धरती से दूर,
जहाँ विकास था कुछ कम पुर।
वहाँ चमके एक तेज सितारा,
जिसने बदली भारत की धारा।
पुण्य भूमि पुणे में जन्म लिया,
सच्चे साधक सा कर्म किया।
पिता थे शब्दों के सिपाही,
बेटे ने ली सेवा की राही।
शिक्षा से जिनका मन न भटका,
पर सेवा का भाव सदा ही अटका।
पहले पढ़ाते थे गणित, विज्ञान,
फिर बने संघ के प्रचारक गान।
मेघालय की कठिन डगर चुनी,
जहाँ भाषा भी अजनबी बनी।
पर जोड़े रिश्ते,जन जन से,
घर-घर फैलाए दीप मन से।
‘माई होम इंडिया’ का शुभ विकल्प,
संवेदना का था वो अनुपम संकल्प।
उत्तर-पूर्व को दिल से जोड़ा,
भारत को एक सूत्र में मोड़ा।
खोए हुए बच्चों को घर पहुँचाया,
माँ के आँचल को फिर महकाया।
सहयोग, समर्पण और जन बंधन,
देवधर जी ने किया सभी को वंदन।
राजनीति भी की सेवा समान,
वाराणसी में किया अभियान।
मोदी की जीत का वो श्रृंगार,
त्रिपुरा में लहराया केसरिया प्यार।
ना केवल नेता, वह केवल सेवक,
वह हैं भारत के भावों के केवट।
हृदय में जिनके बसा संगीत,
हर पीड़ा को गाते हैं जैसे मीत।
@Dr. Raghavendra Mishra
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