"सेवाशील सूर्य” (आदरणीय श्रीमान सुनील देवधर जी)
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
साधारण जन, असाधारण कर्म,
भारत माँ का अटूट धर्म।
जिसने सेवा को स्वर बनाया,
संघपथ पर जीवन लुटाया।
ना सिंहासन, ना स्वप्न विलास,
केवल जनसेवा का विश्वास।
जहाँ अंधेरे थे, गहराई थी,
वहाँ उनकी दृष्टि प्रभात लाई थी।
पूर्वोत्तर की वादियों में,
जहाँ अपनापन था फौजियों में।
वहाँ पहुँच, जो अपनत्व दिया,
हर छाया को उन्होंने रौशन किया।
“माई होम इंडिया” नाम लिया,
हर कोने में दीप जला दिया।
भटके बच्चों को घर दिलाया,
माँ की गोदी से फिर मिलवाया।
त्रिपुरा में जहाँ था दुष्ट स्थाई,
उन्होंने विकास की बांसुरी सुनाई।
संघर्ष किया, विजय रचाई,
केसरिया को नई राह दिखाई।
कुशल रचयिता है वह रणनीति के,
वह गायक भी हैं भावुक रीति के।
जिनकी आँखों में लक्ष्य जगा,
जिनका मन गीतों में भी बसा।
ना केवल नेता, ना केवल पथिक,
वो युगपुरुष हैं आत्मबल में अधिक।
भारत की संस्कृति के प्रहरी हैं,
सच्चे कर्मयोगी देवधर जी हैं।
@Dr. Raghavendra Mishra
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