नई दिल्ली की नव प्रभा रेखा गुप्ता के सौ दिन"
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, JNU (लेखक/रचनाकार)
नई उमंग, नव रेखा छाई,
जनगण की पीड़ा हरने आई।
सौ दिन की यह यात्रा न्यारी,
नारी जन सेवा में प्यारी॥
मेट्रो की धड़कन फिर बोले,
फेज़ चार के पंख डोले।
सड़कों पर रफ्तार नई,
हर मोड़ पे उजियार भई।।
पांच मोहल्ला क्लीनिक खुले,
सेवा की गाथा रोज़ फूले।
शरीर की नहीं, अब चिंता हो,
हर द्वार पे चिकित्सक मिलता हो।।
तीस किलोमीटर पट्टी हार दी,
PWD ने राहें सुधार दी।
गड्ढों से अब डर कैसा,
चले वाहन मस्ती में जैसा।।
यमुना बोलें अब मैं स्वच्छ माई,
क्लीन मिशन की शुभ गूंज सुनाई।
धाराएं फिर पावन बहतीं,
हर आरती में सुगंध रहतीं।।
‘पिंक पेट्रोल’ पहरेदारी,
सुरक्षा से नारी भय हारी।
हर गली अब निर्भय ठहरी,
भय की रातें हों न जारी।।
शिक्षा ने संचार पाया,
स्मार्ट क्लास रूमों की छाया।
परिवहन में इलेक्ट्रिक रथ,
हर दिशा में हरित भाया।।
वृक्षारोपण, ग्रीन एप आगे,
प्रकृति से फिर नाता जागे।
दिल्ली बोले ‘मैं अब हरित’,
धूल धुएं के दिन गए बीत।।
शिकायत सुन, समाधान किया,
'जनसंवाद' ने सब कुछ दिया।
बीस हज़ार अरमानों को,
तुरंत राहत का वरमाला दिया।।
रेखा जी की रेखाएं उजलीं,
विकास की रचना अब सजीली।
संविधान का दीप जलाया,
प्रजाजनों का हृदय बहलाया।
यह सौ दिन, शुभ संकेत बने,
विश्व बंधुत्व के बीज घने।
नव सभ्यता की राजधानी,
दिल्ली बने भारत की वाणी।।
@Dr. Raghavendra Mishra
mishraraghavendra1990@gmail.com
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