डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
"अरूणांचल प्रदेश" की संस्कृति, दर्शन, इतिहास, धर्म, और भारतीय एकता को समर्पित एक विस्तृत काव्यात्मक कविता, जिसे भावनात्मक, शास्त्रीय और राष्ट्रभाव से ओतप्रोत शैली में रचा गया है :
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
"अरुणांचल उगते सूरज की आत्मा"
उगते सूरज की पहली किरण, जहाँ हिमगिरि को चूमे,
जहाँ नदी पहाड़ों में गाए, और वनदेवी झूमे।
वो धरती है अरुणांचल, भारत की पूर्व दिशा का दीप,
प्रकृति, संस्कृति, वीरता में, जिसकी गरिमा समीप।
इतिहास रचे जहाँ ऋषियों ने, लोहेती की धार पे,
कामाक्षा की छाया पाई, मालिनीथान द्वार पे।
तवांग जहाँ बुद्ध मुस्काएँ, शांतिधारा बहती,
परशुराम कुंड की लहरों में, शक्ति स्मृति रहती।
डोनी पोलो का तेज जहाँ, सूर्य चंद्र आराधन,
शमानी मंत्रों से गूँजे, आत्मा का आलोक बन्धन।
मोनपा, गालो, अपतानी, मिश्मी, न्याशी वंश,
हर जनजाति में बसी हुई, परंपरा का अद्भुत अंश।
तवांग मठ की घंटियाँ, ध्यानमग्न कर दे मन,
उरगेलिंग की वाणी में, छठे दलाई लामा का धन।
प्राकृतिक पूजा, पूर्वजवंदन, जीवन का आदर्श,
हर वृक्ष, नदी, पर्वत में, देखा जाता विश्व परामर्श।
नदी सियांग की गोद में, संस्कृति का प्रवाह,
पोशाकों में इंद्रधनुषी रंग, मुख पर उल्लास अथाह।
मोपिन, सोलुंग, लोसार के पर्व, जैसे ऋतु के भाग,
हर त्यौहार में झलक उठे, भारत की एकता के राग।
गीतों में गाथा वीरों की, नृत्य में गर्जन हो,
पोनुंग, रिकम्पा के स्वर में, जन-जन का स्पंदन हो।
कंचनजंघा की चोटी से, आशीर्वाद बहे भारत को,
सीमा का प्रहरी बनकर, सुदृढ़ करे राष्ट्र माधव को।
विद्यालयों में ज्ञान खिले, विज्ञान और संस्कृति साथ,
राजीव गांधी की नींव हो, ज्ञान का प्रकाश।
जनजातीय पाठ्य में अब, लिपियाँ भी बोलें,
लोककथा से लेकर रोबोट तक, नए युग को खोले।
संघर्षों से सीखा जिसने, विकास का पथ अपनाया,
सड़कों, पुलों, शिक्षा, संचार से सपना साकार बनाया।
सेना के संग, सीमाओं पर, बसी जो जनभक्ति,
वो अरुणाचल भारतमाता की, जाग्रत चेतना की शक्ति।
भारत की यह भुजा कहो या आत्मा का अंश,
जहाँ राष्ट्रध्वज लहराए, हिम के मध्य वीरवंश।
"एक भारत, श्रेष्ठ भारत" का स्वरूप है वह धरा,
जहाँ विविधता में एकता हो, और आत्मा रहे परा।
नमन तुझे अरुणाचल, तू है पूर्व दिशा का गीत,
तेरे कण-कण में बसा हुआ, मातृभूमि का मीत।
तेरी चेतना, संस्कृति, दर्शन भारत की धरोहर है,
अखंड राष्ट्र की ध्वजा लिए, तू अखंड आत्मा का स्वर है।
@Dr. Raghavendra Mishra
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