Thursday, 8 May 2025

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)

My Home India के अन्तर्गत “सपनों से अपनों तक” प्रकल्प पर आधारित एक काव्यात्मक कविता, जो इसके उद्देश्य, कार्यशैली और भावना को प्रदर्शित करती है :

सपनों से अपनों तक
(My Home India का एक समर्पित संकल्प)

जहाँ पूरब की घाटियाँ मुस्कुराएँ,
पर्वतों से पिघलती धूप गुनगुनाएँ।
वहीं से चल पड़े कुछ नन्हें सपने,
अपनों की खोज में, अनजाने अपने।।

भीड़ में भी पहचान की प्यास लिए,
दिल में भारत माँ का विश्वास लिए।
चले वो अपने भविष्य की राहों में,
हाथ थामे उम्मीद की बाँहों में।।

"My Home India" ने दीप जलाया,
हर मन में अपनापन फिर से समाया।
जिसे लगे कि ये शहर अजनबी है,
"तुम अकेले नहीं हो" संग हम सभी हैं।।

सपनों से अपनों तक एक सेतु बना,
हृदय से हृदय तक प्रेम का धागा तना।
संघर्ष में साथी, संकट में छाया,
हर छात्र को घर सा सहारा दिलाया।।

कभी छात्रावास की खोज बनी चिंता,
तो कभी स्वास्थ्य या पढ़ाई की विंता।
यह प्रकल्प बना आशा का उमंग,
हर पूर्वोत्तर दिल में उपजा नया तरंग।

सांस्कृतिक मेलों से बंधा संवाद,
भाषा, रंग, भोजन में न कोई विवाद।
नृत्य, गीत, परंपरा का संगम हो चला,
उत्तर पूर्व अब भारत से एक हो भला।

रोज़गार की राहों में साथ चलें,
प्रेरणा के दीपक हाथों में जलें।
मार्गदर्शन, कार्यशाला और प्रयास,
हर युवा को मिला सशक्त विश्वास।।

यह सेवा नहीं, यह अपनत्व की वाणी है,
यह भारत माँ के हृदय की कहानी है।
जहाँ कोई न हो पराया या दूर,
हर कोना हो आत्मीय और भरपूर।।

चलो मिलकर ये दीप जलाएँ,
हर पूर्वोत्तर स्वजन को गले लगाएँ।
सपनों से अपनों तक का संदेश फैलाएँ,
भारत को भारत से फिर से मिलाएँ।।

@Dr. Raghavendra Mishra 

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