Saturday, 10 May 2025

जम्मू-कश्मीर के  इतिहास, दर्शन, भूगोल, साहित्य, ग्रन्थ परंपरा, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, समरसता इत्यादि सभी पक्षों पर आधारित कविता :

"जम्मू कश्मीर: भारत का मुकुट"
(रचयिता: डॉ. राघवेंद्र मिश्र)

हिमगिरि की छाया में शोभित, भारत का सुन्दर मुकुट,
शारदा माँ की पावन भूमि, यह ज्ञान विज्ञान का भृकुट।
नीलमतपुराण से निकली, जिसकी गाथा ज्योतिर्मय,
राजतरंगिणी के शब्दों में, झरता इतिहास मोतिमय।।

वसुगुप्त की ध्वनि यहाँ, शिवसूत्रों में बिखरी है,
स्पन्द प्रत्यभिज्ञा के पथ से, आत्मा की यात्रा निखरी है।
अभिनवगुप्त के तंत्रालोक में, ब्रह्म का नर्तन जाग्रत है,
अद्वैत शैव विचारधारा, शिव चिदानन्द ही शाश्वत है।।

झेलम की कल-कल धारा में, बहता सन्देश समन्वय का,
ललिता की वाणी गूंजे, शुभ गीत क्षेमराज के अन्वय।

ईश, दिवाली, वैष्णो माता, सब हैं एक परिवार में,

“शारदापीठ” की यही व्याख्या, ज्ञान बहे संसार में।।

बर्फीली घाटी में अंकित, तन्त्र, शास्त्र, पुराणों की लेखा,
शारदा पीठ बना जो ज्योति, ज्योतिर्मय हर आलोक देखा।
ध्वन्यालोक से ध्वनि निकली, रस की भाषा संस्कृत जीवी,
भामह, आनंदवर्धन, रचनाओं की निधि चिरंजीवी।।

डोगरी, कश्मीरी, लद्दाखी भाषाओं का नव मेला,
शब्दों में संस्कृति रचे, गीतों में भारत का खेला।
कालीन, मंदिर, नक्काशी, है शिल्प जहाँ आत्मा का रंग,
संगीत में शास्त्र बहता, जैसे प्रेम की गूँज अनंग।।

महाराज ललितादित्य ने, वीर गाथा अमर बनाया,
भारतीय संघ का यह राज्य, बलिदानों से राह पाया।
लद्दाख की भूमि शान्ति की, तिब्बत तक जिसका विस्तार,
बौद्ध धम्म का सेतु बना, विश्व बंधुत्व का व्यवहार।।

ज्ञान, अध्यात्म, विज्ञानों की, सम्मिलित यहाँ परंपरा,
शिक्षा, औषधि, ज्योतिष, योग सबमें है विशद धरा।
तकनीक से लेकर गुरुकुल तक, रेखांकित करते उजियारा,
संस्कारों से भरपूर भूमि, यह भारतमाता का तारा।।

हे भारत के मणिमुकुट! हे चिर ज्ञानदीप समता के,
तेरे स्वर में विश्व गूंजे, गीत, शान्ति, प्रेम, क्षमता के।
तू रह सदा प्रकाशमान, तू राष्ट्र का सुंदर माथा,
तू ही तो है सनातन आत्मा की ज्योतिर्गाथा।।

@Dr. Raghavendra Mishra 

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