माँ के लिए 🙏 🙏 🙏
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
मेरी माँ ही मेरी दुनिया है
माँ की ममता है शुभ छाँव जैसी,
जब माँ हो साथ में तब धूप कैसी।
निस्वार्थ प्रेम, अपनापन सारा,
उसके आँचल में बसे जीवन हमारा।।
नींद में जब डर लग जाता है,
माँ की लोरी स्वर्ग सा भाता है।
भूख लगे तो रोटी बन जाए,
उसके हाथों में स्वाद समाए।।
जब थक जाए जीवन का पथ,
माँ का चेहरा दे नई शपथ।
हर दुख सुख की वो सहभागी,
हर उलझन में बनी बड़भागी।।
उसने खुद को खो दिया हममें,
पाएं इस माँ को हर जनम में।
उसके सपनों में बसते हैं हम,
उसकी आंखें पढ़ते हैं हर ग़म।।
जो नहीं कह सके कभी शब्दों में,
वो सब मिल जाए माँ की गोद में।
मंदिर, विद्या, गुरुद्वारा सब,
माँ के चरणों में मिलते हैं रब।।
मेरी माँ ही मेरी दुनिया है,
उससे बड़ा न कोई भूमिया है।
माँ के बिना अधूरा संसार,
माँ ही उत्तम जीवन का सार।।
@Dr. Raghavendra Mishra
No comments:
Post a Comment