"ऑपरेशन सिंदूर : एक आध्यात्मिक वैश्विक धर्मयुद्ध"
“ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य अभियान नहीं है, यह भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की गहराइयों से उठती एक चेतना है । एक ऐसा आह्वान, जो अन्याय, आतंक और अधर्म के विरुद्ध धर्म, नारी सम्मान और मानवता की रक्षा हेतु उठाया गया है।
सिंदूर का प्रतीकात्मक महत्व
हिंदू परंपरा में सिंदूर केवल सौभाग्य और वैवाहिक जीवन का प्रतीक नहीं है, यह दिव्य स्त्री ऊर्जा—शक्ति—का प्रतिनिधित्व करता है। यह उस शक्ति का रूप है जिसने समय-समय पर असुरों का नाश कर धर्म की स्थापना की। माँ दुर्गा जब राक्षसों के विनाश के लिए अवतरित होती हैं, तो वह स्त्री होकर भी सम्पूर्ण ब्रह्मांड को हिला देने वाली शक्ति बन जाती हैं।
सिंदूर का अपमान मात्र किसी स्त्री का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के संतुलन और धर्म के स्तंभों पर किया गया आघात है।
२८ सिंदूर और सभ्यता का उत्तर
जब २८ माताओं-बहनों के सिंदूर को मिटा दिया गया, जब आतंक ने स्त्री की गरिमा को रौंदने का दुस्साहस किया, तब यह केवल एक अपराध नहीं रहा—यह सभ्यता को चुनौती थी। यह उस सांस्कृतिक चेतना को ललकार थी, जो “सीता हरण” पर रामायण और “द्रौपदी चीरहरण” पर महाभारत रच देती है।
हम वह सभ्यता हैं जो नारी सम्मान के लिए महायुद्ध रचती है।
हम वह संस्कृति हैं जो रावणों और दुर्योधनों के अंत से धर्म की पुनर्स्थापना करती है।
“ऑपरेशन सिंदूर”: एक आध्यात्मिक प्रतिक्रिया
यह ऑपरेशन प्रतिशोध से प्रेरित नहीं है—यह धर्म की रक्षा, न्याय की पुनर्स्थापना और स्त्री सम्मान की पुनर्प्रतिष्ठा का यज्ञ है। यह उस भाव से प्रेरित है, जहाँ शस्त्र भी तब उठते हैं जब शास्त्रों का अपमान होता है।
यह रणभूमि में खड़ा अर्जुन है,
यह शत्रु का वध करती चंडी है,
यह धर्म की जय के लिए उठता हर योद्धा है जो कहता है:
“धर्मो रक्षति रक्षितः”
(जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा स्वयं धर्म करता है।)
अतः “ऑपरेशन सिंदूर” भारत की आत्मा की आवाज है—एक ऐसी सभ्यता की चेतना जो कभी भी अन्याय सहन नहीं करती। यह केवल आतंकवाद के विरुद्ध नहीं, अधर्म के विरुद्ध एक धार्मिक उद्घोषणा है।
यह संदेश है कि स्त्री को केवल पूज्य नहीं, सज्जित और सशस्त्र भी मानना होगा—क्योंकि जब नारी का सम्मान खतरे में होता है, तब माँ दुर्गा अपने सभी भुजाओं के साथ प्रकट होती हैं। तथा वह सभी भुजाएं अब हमारी आर्मी के रूप में विराजमान है।
यह ऑपरेशन नहीं, युगांतकारी उद्घोष है—कि सिंदूर की रक्षा, सृष्टि की रक्षा है।
@Dr. Raghavendra Mishra
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