Wednesday, 7 May 2025

 डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)

"माई होम इंडिया(My Home India)" संगठन की भावना पर आधारित एक प्रेरणादायक गीतात्मक कविता जो राष्ट्रभक्ति, समरसता और पूर्वोत्तर भारत के सम्मान में लिखा गया है।

गीत: "मेरा घर है यह भारत सारा, माई होम इंडिया हमारा"

पूरब की घाटी से निकली, स्नेह-सुधा की धार,
उत्तर-दक्षिण पथ पे फैला, एकता का प्यार।
भाषा-भूषा, रंग भिन्न हों, मन की एक ही आशा,
"माई होम इंडिया" कहता, बढ़े प्रेम की भाषा।

छात्र जहाँ भी जाएं अपने, न हों कहीं पराये,
संघर्षों में दीप जले जो, हम साथी बन जाएं।
मणिपुर, मिज़ोरम या त्रिपुरा, हर कोना है न्यारा,
हर दिल में यह भावना बसती “मेरा भारत प्यारा"।

जब-जब डर का छाया अंधेरा, बढ़े ये हाथ हमारे,
सेवा, सुरक्षा, स्नेह बने फिर नवभारत के सितारे।
हर पीड़ित की आँखों में फिर, उम्मीदों का दीप जले,
“माई होम इंडिया” कहे, हम सब मिलकर चलें।

संघ की प्रेरणा है इसमें, समरसता की रीत है,
एकता का गान बने यह, हर भाषा की प्रीत है।
पूर्वोत्तर से पश्चिम तक हो, न कोई दूर रहे,
“माई होम इंडिया” का सपना सबके साथ सहे।

चलो बढ़ाएं हाथ हम भी, बनें इस कारवां के गीत,
भारत माँ के हर बेटे की, हो सच्ची ही प्रीत।
न कोई पराया, न कोई परदेशी,
हर मन में बस हम हैं स्वदेशी।


“मेरा घर है ये भारत सारा,  माई होम इंडिया हमारा।”


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