"क्रिकेट की विराट कहानी"
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र (लेखक/रचनाकार)
भारत की धरती पर जन्मा लाल,
नवम्बर की सर्दी में जगा था बाल।
बचपन से बल्ला बना उसका मित्र,
हर गेंद पर था विजय का चित्र।।
उन्नीस की उम्र में विश्व विजेता,
कंधों पर भारत का स्वप्न समेटा।
श्रीलंका में पहला रण सजा,
तभी से विराट के तिलक का मजा।।
शतक पे शतक, दोहरे भी कई,
सचिन के रथ को भी छू लिया वही।
चौदह हज़ार वनडे रन का मुकाम,
सबसे तेज बना भारत का नाम।।
कप्तानी में नयापन, जोश भी प्रखर,
ऑस्ट्रेलिया की भूमि पर रचा नया सफर।
टेस्ट की ऊँचाइयों को छू लिया,
भारत को शिखर पर बैठा दिया।।
विश्व कप, चैंपियंस, टी-20 की जीत,
हर बार विराट बना ताज का मीत।
राजीव खेल रत्न, पद्म श्री सम्मान,
जन-जन के दिल में बनाया स्थान।
अनुष्का के संग रचा प्रेम संसार,
सेवा में खोला फाउंडेशन द्वार।
बालकों की शिक्षा, स्वास्थ्य का काम,
विराट ने बढ़ाया भारत का मान।
अब भी जोश, परिपक्वता साथ,
विराट की कहानी है अनुपम बात।
कर्मयोगी, योद्धा, प्रेरणा महान,
भारत के हृदय में है उसका सुजान।
@Dr. Raghavendra Mishra
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