डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
(लेखक/रचनाकार)
*जवाहर ज्वाला जलती रहे, हिन्दू हृदय में पलती रहे* l
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
हिन्दू हृदय में पलती रहे।
संघ ध्वजा के वीर सपूत,
यश आपका गगन में रमती रहे।।
गोटीबांध की धरती से निकले,
त्याग-तपस्या के दीपक।
चंदौली की गलियों में गूंजा,
संघ भक्ति का अमर चिंतक।
धोती-कुर्ता साधन कच्चे,
फटा बैग फिर भी सब अच्छे।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
संघ धारा में बहती रहे।।
रामजन्मभूमि के रण में,
सिंघल, गुरजन संग उठे।
सुबेदार, शोभनाथ सँग,
हिन्दू स्वाभिमान न टूटे।
आग बनी वो चेतना,
बनी राम नाम की वन्दना।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
धर्म ध्वजा बन लहरती रहे।।
काला था आपातकाल,
ट्रेन की छत से गूँजी चाल।
गीतों से ललकार किया,
पुलिस भी थर्राई देख हाल।
कुत्ते नोचें, प्राण दहकें,
पर संगठन का दिया न भेद।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
बलिदान अमरता कहती रहे।।
भोला मिश्र गाते रहे,
तेरी यशगाथा गूंजे रहे।
वीर नगर से सकलडीहा,
तेरी प्रेरणा बहती रहे।
चप्पल घिसी, पर मन ना थका,
हिन्दू जीवन में तू सदा पका।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
राष्ट्रभक्ति सदा खिलती रहे।।
तन मन तर्पण, जीवन अर्पण,
जवाहर ज्वाला अमर रहे।।
संघ पथिकों के दीप बने,
जवाहर जी अमर रहे।।
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