*गीत: "जागो सनातन की ज्योति बनो"*
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
झूठे इतिहास की छाया में, सत्य को ढँका गया,
वेदों की वाणी को, ज्यों अंधेरे में रखा गया।
पाश्चात्य भ्रम की बिसातों पर, हमने स्वत्व खो दिया, अब उठो, पुनः चेतो, हमने भारत को फिर बो दिया।
जागो, सनातन की ज्योति बनो, विश्व शांति का संकल्प लो। भारत से फैले प्रकाश फिर से, विश्व सनातन संघ का स्वर हो।
कट्टरता की ज्वाला बुझाएं, करुणा से प्रेम बरसाएं, धर्म नहीं है व्यापार कभी, ये सत्य का दीप जलाएं। धन की अंधी दौड़ छोड़, संतोष में सुख पाएं, प्रकृति माँ की गोद में फिर, संतुलन का पथ अपनाएं।
जागो, सनातन की ज्योति बनो, ज्ञान, विज्ञान से तेज बनो। भारत हो फिर पथ-प्रदर्शक, विश्व बंधुत्व का संदेश बनो।
कपिल कपूर की सोच से, विचारकों की साधना से, हज़ारों ग्रंथों के प्रकाश में, और राष्ट्रों की यात्राओं से।
संघ बनाएं, संयुक्त राष्ट्र का विकल्प सजाएं, सनातन संस्कृति के दीप से, विश्व को फिर से जगाएं।
जागो, सनातन की ज्योति बनो, हर द्वार पर आशा बनो। भारत से हो पुनर्जागरण, विश्व में शुभ संदेश बनो।
यही है समय, यही है घड़ी, धरा पुकारे, उठा लो छड़ी।
धर्म, करुणा, ज्ञान के साथ, चलो बनाएं नव सनातन पथ।
@Dr. Raghavendra Mishra
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