भजन गीत: "राष्ट्रदीप जला हेडगेवार"
(राग: देशभक्ति/भक्ति | ताल: दादरा या कीर्तन)
हेडगेवार वो तेज पवित्र,
जिनसे जागे स्वदेश का चित्र।
राष्ट्रदीप जो स्वयं जलाया,
हिन्दू हृदय में दीप समाया॥
युग ने देखा क्रांतिवीर,
बाल तिलक का सत्य अधीर।
कोलकाता से ज्ञान लिया,
भारत माता को प्रणाम किया॥
अनुशीलन से कर्म तपाया,
अंग्रेजों को ललकार सुनाया।
सबको स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया,
संस्कृति का पथ सबसे सजाया॥
नागपुर में संघ बसाया,
हर हिन्दू को एक बताया।
जात-पांत को दूर हटाया,
शाखा से नव युग बनाया॥
सेवा, त्याग, चरित्र विशाल,
युवकों में भर दिया उबाल।
संघ बना भारत की शान,
हर दिशा में उसकी पहचान॥
दीप जलाया जो संस्कार का,
शंख बजाया हिन्दूत्व विचार का।
गोलवलकर, नाना सरीखे शिष्य,
बने पथिक राष्ट्र के भविष्य॥
न राजनीति, न मोह माया,
सिर्फ भारत माँ को पाया।
धर्म, संस्कृति, सेवा का गान,
हेडगेवार जी हैं देश के पहचान ॥
हे भारत के वंशज सुन ले,
संघ की धारा फिर से चुन ले।
हेडगेवार का भाव जगा,
राष्ट्रप्रेम में जीवन लगा॥
तेरा दिया यह दीप जलाएँ,
राष्ट्रधर्म पर सब कुछ अर्पण लाएँ।
हेडगेवार के व्रत को निभाएँ,
भारत माता को फिर से सजाएँ॥
@Dr. Raghavendra Mishra
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