Thursday, 24 April 2025

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

माता अहिल्याबाई होलकर के जीवन, सेवा, संस्कृति-संरक्षण, धर्मनिष्ठा और स्त्रीशक्ति के गौरवगान पर आधारित एक प्रेरणादायक देशभक्ति व सांस्कृतिक राष्ट्रभक्ति भजन/गीत, जो भारत की मिट्टी, परंपरा और शक्ति का संदेश देता है।

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

भजन/गीत: धरा की दीपशिखा अहिल्या रानी

अहिल्या रानी जाग उठीं, मिट्टी ने ली सांस।
धर्म-ध्वजा फिर लहराई, जागी भारत की आश॥

साधारण कुल में जन्म लिया, पर कर्म बने महान।
बुद्धि, शक्ति, सेवा में, नारी का दिया प्रमान।
ना छाया था भय, ना लोभ का माया-जाल,
धर्म-सिंहासन पर बैठीं, बनीं नारी का भाल॥

काशी का मंदिर बोल उठा, आई फिर से ज्योति।
सोमनाथ ने पाया गौरव, रामेश्वर ने मोती।
अयोध्या में श्रीराम फिर गूंजे भक्तों के साथ,
धर्म-मार्ग की दीवानी, बनीं रानी सबकी मात॥

न्याय दरबार में बैठी थीं, सबके दुख को जान।
कर घटाया, सुख बढ़ाया, था सेवा ही पहचान।
महेश्वर की गलियों में, आज भी गूंजे नाम,
अहिल्या माई आई थीं, लेकर धर्म-विराम॥

भारत माता कहती है, ऐसी बेटियाँ चाहिए,
त्याग, तप, सेवा से, यश की जोत जलाइए।
धन्य है वह संस्कृति, जो ऐसी शूरवीर लाए,
इतिहास को भी गर्व हुआ, जब रानी बन मुस्काए॥

जय-जय अहिल्या मात, संस्कृति की तू थाती।
तेरे चरणों में ये राष्ट्र, श्रद्धा सुमन चढ़ाती॥

@Dr.Raghavendra Mishra 

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