डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, BSVN नोएडा.
भजन/गीत
*"सनातन का संदेश"*
सनातन का ये सन्देश है, करुणा में ही प्रकाश है,
सबका हो कल्याण सदा, यही धर्म की आश है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः, हर मन में बस जाए,
वसुधैव कुटुम्बकम् की, भावना हर घर गाए॥
आत्मवत् जो देखे जग में, वही सच्चा ज्ञानी,
परोपकार ही धर्म बड़ा है, यही संतों की वाणी।
बुज़ुर्गों का हो आदर, करुणा पशु-पक्षी में,
धरा और गौ माता की सेवा, बसी हर भावना में॥
योग बने जीवन का साधन, आत्मा का उत्थान,
अनुशासन से जागे भीतर, शांति और विज्ञान।
स्वास्थ्य बने जीवन पूजा, प्राणायाम का जाप,
सदाचार की हो आरती, हो हर दिन ये जाप॥
ज्ञान दीप हो सबमें उज्ज्वल, शिक्षा का हो संग,
नारी का हो मान बड़ा, समता हो हर रंग।
धार्मिक सहिष्णुता से सींचे, समाज का हर वृक्ष,
संतुलित हो जीवन जग में, आत्मिक और भौतिक॥
कृषि में हो गौरव भाव, धरती से जुड़ा जीवन,
पर्यावरण की रक्षा को, हो हर मन में दर्शन।
जल, वायु, वन और पर्वत, सब पूज्य रूप धारें,
प्रकृति को माँ मानें सब, यही संस्कृति पुकारे॥
दान, तपस्या, सेवा भाव, हों जीवन के रत्न,
परिवर्तन लाए शिक्षा से, बनें सब परम सत्व।
आध्यात्मिक जीवन शैली से, हो हर द्वेष का अंत,
एक परिवार, एक विश्व हो, यही सनातन मंत्र॥
सनातन का ये सन्देश है, प्रेम, करुणा, ज्ञान,
हर जीव में ईश्वर बसता, यही है पहचान।
सर्वे भवन्तु सुखिनः, हर स्वर में ये गूँजे,
वसुधैव कुटुम्बकम् की, धुन हर मंदिर में पूँजे॥
@Dr. Raghavendra Mishra
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