डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
पहलगाम की घटना की पृष्ठभूमि में, शहीदों की आत्मा को नमन करता हुआ– देशभक्ति गीत:
"भारत के रणबाँकुरे"
(शहीदों को श्रद्धांजलि, राष्ट्र को संकल्प)
धरती माँ ने पुकारा है, अब जागो वीर जवानों,
शांति के फूलों पर बरसे, अब ढाल तुम्हारी परवानों।
जो कश्मीर में गिरा खून, व्यर्थ कभी न जाएगा ,
हर आँसू की कसम ये है, अब आतंकी जी न पाएगा।
हिमगिरि से लेकर सिंधु तक, गूंजे भारत नाम,
कोई रचता षड्यंत्र यहाँ, हो उसके नाश का काम।
नव दीप जलाएँ साहस के, हर गाँव नगर में अब,
जन-जन की हुंकार बने, "जय भारत" का स्वर तब।
त्रिशूल उठेगा फिर से जब, करुणा बन जाए क्रोध,
न्याय के इस धर्मयुद्ध में, अब ना चलेगी कोई अवरोध।
टीआरएफ, लश्कर, सब नाम मिटेंगे, हो जाएगा संहार,
भारत की धरती पर फिर, गूंजेगा शांति का सत्कार।
हर शहीद के रक्त कण में, भगवत स्वरूप समाया,
भारत माँ की वन्दना में, जीवन हर पल लुटाया।
हम न भूलेंगे बलिदान को, न थमेंगे, न झुकेंगे,
राष्ट्रधर्म के यज्ञ में, प्राण अर्पित हम कर देंगे।
अब जो भी आँख उठाएगा, उसका उत्तर सिंह बनेगा,
कण-कण से जयघोष उठेगा, भारत फिर से जगेगा।
चलो उठो, मिटा दो भय को, हर कोना तिरंगा हो,
वीर शहीदों के संकल्पों से, नया सूरज गंगा हो।
@Dr. Raghavendra Mishra
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