डॉ राघवेन्द्र मिश्र
"वीर वतन के लाल"
(भारत माता के सपूतों को समर्पित)
पर्वतों की गोद में, गूंजा आज एक स्वर,
आतंकी अंधकार को, ललकारे हर ज़र।
बाइसारन की वादी में, लहू बहा जवानों,
भारत माँ ने फिर पुकारा – "जागो मेरे संतानों।"
जय जय भारत माता, वीरों की तू जननी,
तेरे लिए कट जाएँ हम, ये जीवन हो धनी।
जो शहीद हुए वतन पर, वो अमर बलिदानी हैं,
उनकी याद में जलती अब, हर दिल की रवानी है।
गुंजे ये अरदास हमारी, सीमा से संसद तक,
ना झुकेगा भारत अब, हो आँधी या तूफ़ान तक।
हर आतंकी के मन में, अब डर का दीप जलाएँ,
शांति का संदेश लिए, पर प्रहार में ना चूक जाएँ।
आतंकी हो या कोई नाम, सबका अंत लिखेंगे हम,
जहाँ चलेगी भारत बात, वहीं तक दिखेंगे हम।
संग चलेगी सच्चाई, संग चलेगा हिन्दुस्तान,
धर्म, धैर्य, और वीरता – यही हमारी है पहचान।
आओ मिलकर बोलें सब – “भारत माता की जय!”
वीरों के उस बलिदान को, चरणों में अर्पण कर दें।
जग से कह दें भारत अब, चुप रहने वाला नहीं,
जिसने आँख उठाई भारत पर, वो अब बचने वाला नहीं!
@Dr. Raghavendra Mishra
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