डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
(लेखक/रचनाकार)
कविता :
(ॐ नमः शिवाय, वाणी अमृत धारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा)
ॐ नमः शिवाय, वाणी अमृत धारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
गूँजे विश्व में, शिव का यह पुकारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उकारा।।
कुरुक्षेत्र में जब धर्म डगमगाया,
कृष्ण ने गीता धनंजय को सुनाया।
कर्म का संदेश, ज्ञान का सितारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
नटराज झंकार बना नाट्यशास्त्र,
रसों का सुरहस्य, सुरों का आभास।
रस में बसे शिव, लीला अपारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
शिव ने ही ज्ञान बीज बोये,
गीत और नाट्य से भाव संजोए।
छंदों में बहती शिव-स्मृति धारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
आज यूनेस्को ने आदर जताया,
शिव धरोहर को जग में फैलाया।
भारत वसुधा का गगन सितारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
ॐ नमः शिवाय, गूँजे नभ नगारा,
ज्ञान और कला में, शिव का सहारा।
जय जय गीता, जय नाट्यशास्त्र प्यारा,
गीता नाट्यशास्त्र, शिव का उजियारा।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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