डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
(लेखक/रचनाकार)
"जागा तपस्वी जागरण का दीपक"
(स्वर्गीय जवाहर लाल मिश्र जी की पुण्य स्मृति में राष्ट्रभक्ति गीत)
जागा तपस्वी भारत का दीपक,
जल उठा जीवन, बन गया उजियारा।
पीड़ा सहकर भी मुस्काया,
धरती बोली धन्य हो मेरा लाल प्यारा।।
धूल भरे पथ पर जो चला अकेला,
चोटों से जिसने सींचा अलबेला,
ज्वाला-सी चेतना ले आया,
हर गाँव गली में नवदीप जलाया।
अपने कर्मों से दूर किया अंधकार सारा,
धरती बोली धन्य हो मेरा लाल प्यारा।।
जागा तपस्वी जागरण का दीपक...
चींटी, भूख, तन्हाई साथी,
फिर भी न टूटी ध्येय की थाती,
जंगल-पहाड़ों में जो बाँटा प्रकाश,
संघर्ष बना उसका सबसे खास।
आँधी में भी झुका नहीं पथ का सितारा,
धरती बोली धन्य हो मेरा लाल प्यारा।।
जागा तपस्वी जागरण का दीपक...
साइकिल ले साधु-सा चला,
हर घर हर मन में दीप जला,
रामनाम की पताका थामी,
जन जन में भक्ति संगठन बोया धामी।
प्रेम और सेवा से भरा गगन सारा,
धरती बोली धन्य हो मेरा लाल प्यारा।।
जागा तपस्वी जागरण का दीपक...
तन मिटा, प्राण अर्पण कर,
चला दिव्यता के अन्तःपथ पर,
जर्जर काया छोड़ अनन्त में,
ज्योति बनकर छा गया अनन्त में।
हम सबके माथे का उज्ज्वल सितारा,
धरती बोली धन्य हो मेरा लाल प्यारा।।
जागा तपस्वी जागरण का दीपक...
@Dr. Raghavendra Mishra
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