Thursday, 24 April 2025

 डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

"ब्राह्मण छात्र सेवा संस्थान" की भावना को समर्पित एक भावपूर्ण भजन गीत लिखें हैं। इसमें सेवा, शिक्षा, संस्कृति और सनातन मूल्यों की भावना रची-बसी है ।

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

भजन/गीत: 

"सेवा में समर्पित ब्राह्मण छात्र"

ब्राह्मण बन्धु सेवा में समर्पित, ज्ञान-विज्ञान का दीपक हैं।
संस्कृति के ये रक्षक बनकर, राष्ट्र जागरण के गीतक हैं॥

वेदों की प्रतिध्वनि हैं ये, उपनिषदों के बीज हैं।
योग ध्यान में लीन सदा, सनातन के सजीव तीज हैं॥

तप, त्याग, तेजस्विता लेकर, गुरुकुल-धर्म निभाते हैं।
चरक, पाणिनि, व्यास पथिक बन, ज्ञान-वृक्ष बढ़ाते हैं॥

पढ़ते गीता, करते सेवा, नीति-धर्म का पाठ सिखाएँ।
संस्कृति का प्रसार लिए, विश्व के गाँव में जाएँ॥

नालंदा की स्मृति जगाएं, तक्षशिला सी शिक्षा लाएँ।
विद्या के इस यज्ञ में, जीवन होम चढ़ाएँ।।

न कोई भय, न मोह माया, केवल कर्तव्य का है ध्यान।
संघर्षों में मुस्काते ये, रचते नव भारत महान॥

ब्राह्मण विद्वान बने सपूत, ध्यान योग में हों अभ्यस्त।
उनके चरणों को नमन करें, राष्ट्रधर्म के लिए जिनका बहे रक्त॥

@Dr. Raghavendra Mishra 

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