भजन/गीत
*जय भारत माँ, तू ज्ञान धरा*
*तेरी महिमा गाए सारा जहाँ*
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, BSVN नोएडा l
जय भारत माँ, तू ज्ञान धरा,
तेरी महिमा गाए सारा जहाँ।
वेदों की वाणी, शांति का स्वर,
तुझसे चला हर युग का सफर॥
संस्कृत की जो मधुर वाणी,
ग्रीक-लैटिन से भी है जानी।
विलियम जोन्स ने यह कहा,
"भाषा की तू परिपूर्ण दहा!"
जड़ से रचे जो व्याकरण,
जग को दिए वो अमूल्य रत्न॥
"भारत है कथा की जननी,
इतिहास की वह अमर धनी।
किंवदंती की वह दादी माँ,
मानवता की सबसे पुरानी छाँ।"
ऐसा कहा मार्क ट्वेन ने प्यार से,
नतमस्तक हुआ वह इसके आकार से॥
"भारत माँ है जग की जननी,
ज्ञान-ध्यान और गणित की धनी।
अरबों के संग लाया प्रकाश,
बुद्ध के स्वर में मिला विश्वास।
लोकतंत्र की भी पहली रेखा,
भारत की मिट्टी से निकली देखा।"
"जिनके दर्शन की गहराई,
पाश्चात्य को दे जाए चुप्पाई।
वेदों की वह सूक्ष्म दृष्टि,
दुनिया की सबसे ऊँची सृष्टि।"
ऐसा कहा था इलियट ने,
भारत के ज्ञान के सानिध्य में॥
गिनती की दी जो शिक्षा,
विज्ञान ने पाई दिशा।
"भारतीयों का आभार है",
आइंस्टीन का यह उच्च विचार है।
संख्या बिना ना खोज हो पाई,
भारतीय बुद्धि सबसे गहराई॥
पाइथागोरस के सूत्र महान,
लाए भारत से विज्ञान।
भारत की धरती वो स्रोत बनी,
जग की गणित वहाँ से चली।
श्रोएडर ने जो यह सन्देश दिया,
विश्व ने भारत को शीश नवा ॥
जय भारत माँ, तू दीप शाश्वत,
तेरे चरणों में सबका यश।
सागर जितनी तेरी महिमा,
जग बोले तेरा वंदन-गान।
वेद, विज्ञान, भाषा, भाव,
तू ही है मानवता का ठांव॥
@Dr. Raghavendra Mishra
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