Monday, 28 April 2025

 डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 

(लेखक/रचनाकार)


भजन/गीत: "मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ"

मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ, अनादि अमर प्रकाश,
छिपा नहीं हूँ दूर कहीं, बस अपने ही पास॥


जग सारा माया का खेल,
शिव है भीतर  अटल निशाना।
चेतना की लहरों में बह,
पा ले अपना मूल ठिकाना॥

मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ, अनादि अमर प्रकाश...

भूले जो निज स्वरूप को,
बंधन में पड़ते बारंबार।
ज्ञानदीप जला कर मन में,
जागे फिर से आत्मा अपार॥

ना बाहर खोजो सत्य को,
ना दौड़ो स्वर्गों की ओर।
हृदय-कमल में ध्यान धरकर,
पाओ निज शिवमय ठौर॥

@Dr. Raghavendra Mishra 

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