डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
भजन:
जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं l जो कृष्ण का नहीं, वह किसान का नहीं।
जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं,
जो कृष्ण का नहीं, वह किसान का नहीं।
राम बिना रस्ता नहीं, कृष्ण बिना धीरज नहीं,
इनके नाम से ही बनता, जीवन का नीरज सही।
जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं,
जो कृष्ण का नहीं, वह किसान का नहीं।
राम हैं रघुकुल के ताज, त्याग, धर्म का राज,
उनकी मर्यादा में छुपा, जीवन का साज।
सीता की रक्षा कर, दिया दुनिया को ज्ञान,
ऐसे राम को छोड़ के, किसे कहे इंसान ।।
कृष्ण हैं ग्वालों के प्यारे, रण के रणधीर,
बांसुरी से लुभाएं, गीता से करें गम्भीर।
कृषकों के हित में जिनका, हर कार्य हुआ महान,
कृष्ण बिना खेती अधूरी, सूना ये खेत-खलिहान।
राम हैं मंदिर का दीपक, कृष्ण हैं खेतों का पानी,
इनके बिना अधूरी, हर भारत की कहानी।
राम से घर में उजियारा, कृष्ण से जीवन गान,
इनके बिना संस्कृति बिन सुर, बिन रंग, बिन जान।
जो राम को नहीं माने, वो भटके हर मोड़,
जो कृष्ण को नहीं माने, उसका सुख का हो तोड़।
राम-कृष्ण में ही बसी, भारत की पहचान,
इनके नाम से महके, धरती और आसमान।
चलो गाओ राम नाम, बोलो जय श्रीकृष्ण,
हर दिल में हो भक्ति, हो प्रेम का रत्न।
राम-कृष्ण की भक्ति से, मिटे हर अज्ञान,
भारत बने विश्वगुरु, यही हो हमारा प्रयत्न।
जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं,
जो कृष्ण का नहीं, वह किसान का नहीं।
@Dr. Raghavendra Mishra
No comments:
Post a Comment