डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
भजन/गीत: "यशवंतराव केलकर की वंदना"
यशवंतराव की वंदना,
छात्रों के शक्ति की साधना।
संघर्ष, सेवा, नेतृत्व के,
निर्माता की ये आराधना।।
जिनके चिंतन से दीप जले,
ABVP के स्वर चले।
राष्ट्रधर्म की जिसको चाह,
युवकों को दी सच्ची राह।।
छात्रों में जिसने विश्वास भरा,
सेवा को जीवन का मूल कहा।
जाति-भेद जो मिटा चला,
समरस समाज का दीप जला।।
पूर्वोत्तर से लेकर गुजरात,
सेल बनी एकता की बात।
संघर्षों में दिखाया पथ,
छात्र बना राष्ट्र का रथ।।
नहीं राजनीति की होड़ चढ़ाई,
राष्ट्रनीति की बात बढ़ाई।
पठन-पाठन से आगे बढ़कर,
चरित्र-निर्माण को दिया अमर स्वर।।
आज भी जब दीप जलाएं,
यशवंतजी को याद दिलाएं।
ABVP का जो बीज बोया,
उसमें भारत का भविष्य संजोया।।
@Dr. Raghavendra Mishra
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