भजन/गीत: "वीर सावरकर की गाथा"
लेखक: डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
वीर सावरकर की गाथा गाओ,
हिंदुत्व दीप पुनः जलाओ!
जिनके लेखों ने दी चेतना,
जागी भारत की वेदना।।
1857 का समर बताया,
पहला स्वतंत्रता संग्राम गिनाया।
"हिंदुत्व" जिसने परिभाषित किया,
राष्ट्रधर्म को स्थापित किया।।
सेल्युलर जेल की काल-गुफा,
जहाँ लहू से लिखा सफा।
नाखूनों से कविता रच दी,
चट्टानों में भी आग भर दी।।
जनेऊ-छूआछूत मिटाया,
समरस समाज का दीप जलाया।
हिंदू महासभा में विचार सुनाए,
राष्ट्रभक्ति के बीज जलाए।।
कुर्बानी थी, तपस्या भारी,
इनको भारत माता सबसे प्यारी।
न्यायालय ने मुक्त किया,
सावरकर को फिर से श्रेय दिया।।
जय जय वीर सावरकर,
तेरे शब्द हैं समर अमर।
आज आपसे प्रेरणा पाएं,
भारत में परम वैभव लाएं।।
@Dr.Raghavendra Mishra
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