डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
(लेखक/रचनाकार)
गीत: राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन से संबंधित
जय हो, जय हो ज्ञान के दीपक की,
जय हो भारत माँ की, जय हो रूपक की।
पत्तों पर लिखा अमृत वचन,
ताड़ और भोजपत्रों का धन।
संजोया ऋषियों ने प्रेम से,
गूँजे अब भी उनका गान।
|| पांडुलिपि विज्ञान महान, जय हो ज्ञान का वरदान ||
वेदों की वाणी पावन है,
उपनिषदों की ज्वाला है।
महाकाव्य की अमर कहानी,
पुरखों का अमूल्य निराला है।
|| थामे मिशन ने उसका हाथ, फिर से जागा भारत नाथ ||
गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष ज्ञान,
शिलालेखों का सुंदर गान।
शारदा, ब्राह्मी, नागरी वर्ण,
बोलते हैं भारत का मान।
|| अक्षर-अक्षर में इतिहास, दीप जलाएं नित्य प्रकाश ||
डिजिटल में रूप दिया अब,
भविष्य को दी नई उपवन।
संरक्षण का दीप जलाएँ,
संस्कृति का संग निभाएँ।
|| बढ़े ज्ञान का सम्मान, पांडुलिपि विज्ञान महान ||
ओ भारत माँ की वाणी रे,
पांडुलिपि सजी कहानी रे।
रखें उसे हम श्रद्धा में,
ज्ञान दीप जले हर गली में।
|| पांडुलिपि विज्ञान महान, जय हो ज्ञान का वरदान ||
@Dr. Raghavendra Mishra
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