डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
जवाहरलाल मिश्र जी(गोटिबांध, नगवां, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश, भारत) के जीवन और योगदान पर आधारित भजन / गीत, जो राष्ट्रभक्ति, संघ समर्पण और त्याग की भावना को दर्शाता है l
भजन/गीत शीर्षक:
"जवाहर ज्वाला जलती रहे,
हर हिन्दू हृदय में पलती रहे।"
प्रखर राष्ट्रवाद की ज्वाला में,
तन-मन अर्पित कर दिये।
त्यागमयी उस अग्नि कुंड में,
स्वयं को होम कर दिये।
गोटिबांध गाँव से चलकर आए,
संघ ध्वज को शीश नवाए।
धोती कुर्ता, चप्पल घिसा,
पर मन में पर्वत-सा भरोसा।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
संघ पथिकों को चलती रहे।
चंदौली की भूमि बनी,
संघ तपस्वी की साधना।
हिंगतरगढ़, सकलडीहा,
गूंज उठे उनकी भावना।
श्रीराम जन्मभूमि का संग्राम,
विहिप संग दिया प्रान।
सिंघल, सुबेदार, गुरजन साथ,
उगला हिंदुत्व का प्रकाश।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
हर हिन्दू हृदय में पलती रहे।
इमरजेंसी का काला समय,
संघ गीतों से दिया संदेश।
छत पर बैठ के गीत सुनाया,
कैंट पर कोतवाल घबराया।
पुलिस पूछे, कुत्ते नोचें,
पर सत्य पथ से वो न डोले।
एक भी नाम न बतलाया,
संगठन को सुरक्षित पहुंचाया।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
संघ की व्रतगाथा चलती रहे।
काली दाढ़ी, फटा हुआ बैग,
पर तेजस्विता में था अनुराग।
राष्ट्रभक्ति की अमिट छवि,
हर स्वयंसेवक को किया रवि।
भोला जी भी गाथा गायें,
जवाहर के पदचिन्ह दिखाएं।
बभनौली से वीर नगर तक,
उनका नाम बने युग रक्षक।
जवाहर ज्वाला जलती रहे,
हर संघी में शक्ति भरती रहे।
@Dr. Raghavendra Mishra
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