डॉ. राघवेन्द्र मिश्र 😭😭😭
भावपूर्ण और ओजस्वी राष्ट्रभक्ति-हिन्दुत्व भजन है, जो पहलगाम की आतंकवादी घटना में मारे गए हिंदू श्रद्धालुओं और नागरिकों की स्मृति में रचा गया है। यह भजन हिन्दू गौरव, देशभक्ति और प्रतिशोध की चेतना से प्रेरित है:
"रक्त से लिपटा केसर-वन"
(पहलगाम की पुकार – भारत माता के वीरों को समर्पित)
पहलगाम की घाटी रोई, भारत के लाल को काट दिए,
नाम पूछा, धर्म पूछा – फिर गोली से मार दिए।
हिंदू था, यही अपराध? – ये कैसा अन्याय हुआ?
भारत माता देख रही थी, आँचल भी हाय हुआ।
हे भोलेनाथ की धरती, हे वैष्णो की क्यारी,
जहाँ अमरनाथ बसा सदा, वहाँ मौत की सवारी।
आतंक के पिशाचों ने, पावन रक्त बहाया,
लेकिन हर बूंद ने फिर, एक "हिंदू" को जन्म दिलाया।
हमें डराना आसान नहीं, ये धरती वीरों की है,
हम राम के वंशज हैं, ये वाणी शूरों की है।
हिंदुत्व का यह ध्वज फहरेगा, आतंक मिट जाएगा,
हर गोली का उत्तर अब, वज्र प्रहार से आएगा।
जिसने छोड़ी पत्नी रोती, उसके नयन जलाते हैं,
वो सात जन्मों की साक्षी – हम बदला लेने आते हैं।
भारत की हर बेटी अब, प्रतिशोध का दीप जलाए,
आतंकियों को मारने का अब, भारत अपना रीत बनाए l
जागो भारत के सपूतो, अब रणचंडी बनो,
कण-कण में शिवशक्ति जगे, मां चंडी का रूप धरो।
हिंदू न झुका था, न झुकेगा, सत्य का पथ चलता है,
जहाँ शहीदों का रक्त गिरा, वहाँ तिरंगा खिलता है।
भारत माता की जय बोलो, गरज उठे अब परवत,
पहलगाम की हर घाटी से, गूंजे वीरों की करवट।
हम हर बूंद का हिसाब लेंगे, ये प्रण आज उठाया है,
हिंदू को जो मारेगा अब, उस पर काल छाया है।
@Dr. Raghavendra Mishra
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