डॉ. राघवेन्द्र मिश्र
(लेखक/रचनाकार)
भजन-गीत :
जय जय गीता ज्ञान की, जय जय नाट्यशास्त्र महान की।
जय जय गीता ज्ञान की,
जय जय नाट्यशास्त्र महान की।
यूनेस्को ने किया सम्मान,
भारत माता का मंगलगान।।
कुरुक्षेत्र में गूँजा स्वर,
कृष्ण वाणी बनी अमर।
कर्म, भक्ति, ज्ञान की धारा,
बहे गीता से हरि का नारा।।
जय जय गीता ज्ञान की...
भरतमुनि के मधुर राग में,
नाट्यवेद का छंद जागे।
रस, भाव, अभिनय की माला,
शिव-संप्रेरित कला विराजे।।
जय जय नाट्यशास्त्र महान की...
शब्दों में रस, सुरों में ज्योति,
सत्य, धर्म, करुणा की मोती।
गीत नाट्य से सजे संस्कार,
विश्व माने भारत का उपकार।।
जय जय गीता ज्ञान की...
गीता बहे जीवन की नदिया,
नाट्यशास्त्र कहे कला की रगिया।
विश्व मंच पर ऊँचा तिरंगा,
गौरव गाथा गाए मन चंगा।।
जय जय गीता ज्ञान की...
जय जय गीता, जय नाट्यवेद,
भारत भू का अमर अलंकार।
यूनेस्को ने गाया सम्मान,
गौरवमय हो सारा संसार।।
जय जय गीता ज्ञान की,
जय जय नाट्यशास्त्र महान की।।
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