डॉ राघवेन्द्र मिश्र, BSVN नोएडा.
*सनातन की सुंदर छाया, यही भारत की मोती*
एक वृक्ष की चार शाखाएँ, एक सत्य की ज्योति।
सनातन की सुंदर छाया, यही भारत की मोती ॥
धर्म, करुणा, योग-ध्यान, सबमें एक स्वर गूँजे,
आर्य-द्रविड़ हों या जैन-सिख, सबमें ब्रह्म ही पूँजे॥
धर्म है जीवन की धुरी, कर्म ही रचता गति,
पुनर्जन्म की परंपरा में, हर आत्मा पाती शक्ति।
मोक्ष-निर्वाण सभी का लक्ष्य, चित्त शुद्धि की बात,
सत्य और शांति की साधना, एक ही है ज्ञात॥
अहिंसा से सबका पथ निर्मल, करुणा सबका गान,
सत्यनिष्ठ जीवन हो जग में, यही है सबका ध्यान।
आत्म-संयम, ब्रह्मचर्य व्रत, तप की बहे बयार,
इन चारों में दिखे समान, सनातन का आधार॥
ध्यान की गहराई से जुड़ा, आत्मा का संवाद,
योग बने पथ मोक्ष का, आत्मा करे संवाद।
"ओम" की ध्वनि सबमें गूंजे, जप की शक्ति अपार,
ध्वनि ब्रह्म है, मंत्र सरीखा, करे हृदय विस्तार॥
बड़ों का हो सदा सम्मान, गुरु हों जीवन-दीप,
संगति, संघ, और साधना, बनते जीवन-तीर्थ।
सादा जीवन, तप में गौरव, वासनाओं से मुक्ति,
सभी परंपराओं में गूंजे, आत्मा की सच्ची शक्ति॥
संगम की वो तमिल वाणी, वेदों की करती गान,
यज्ञ, पुनर्जन्म, संस्कार, सबका वही विधान।
शैव-वैष्णव भक्तों की बानी, करती भगवत पुकार,
नयनार-अलवार की धारा, करती शिव-राम श्रृंगार॥
38 हजार मंदिर गूंजें, ओम् की ज्योति में,
द्रविड़ न आर्य अलग हैं, सब सनातन की रीति में।
एक धरा, एक संस्कृति, एक ही शाश्वत राग,
संघर्ष नहीं, संगति में ही है भारत का अनुराग॥
चलो मिलकर गायें हम सब, सनातन की ये वाणी,
सिख-जैन-बौद्ध-हिंदू सबमें, एक दिव्य कहानी।
नफरत नहीं, प्रेम की पूजा, यही भारत की भाषा,
ज्ञान, करुणा, योग की गाथा – यही है सच्ची आशा॥
@Dr. Raghavendra Mishra
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