धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा: सनातन क्रांति के दीपस्तंभ
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र JNU (लेखक/रचनाकार)
जब जन्म हुआ अंग्रेज कांपे, वन में गूँजी वाणी,
उलिहातु की मिट्टी बोली आया सत्य प्रवाणी।
धरती–आबा, धर्म–ध्वजाधारी, तेजस्वी वरदानी,
बिरसा नाम पुकारा जग ने, बना क्रांति वाणी।।
स्वदेशी सांसों से पल–पल, बालक बना मुनि-जैसा,
मिशनरियों की छाया छोड़ी, अपनाया गीता वैसा।
धरती, जल, वन, पर्वत बोले "यह सब हमारा,
जो सिखलाए भक्ति–संघर्ष, धर्म शौर्य प्यारा।।
बिरसाइत का धर्म दिया जो, एकेश्वर में आस्था,
न स्वर्ग की लालच में बहके, न नरक की भय व्यथा।
धरती माता, वृक्ष देवता, नदियाँ पूजन मूल,
सनातन संस्कृति का प्रहरी, बना समय का फूल।।
लोकनृत्य, झांझर, गीतों में, गूँजे समता गान,
न्याय सूर्य बन प्रकट हुए वे, मिटा अधर्म तिमिर प्राण।
साधु, योगी, नेता, क्रांतिकारी, संत भी वह,
जिसकी पदचिन्हों पर चल पथ पाए शिवत्व सह।।
उलगुलान का शंख बजाया, गरजा बनकर मेघ,
अंग्रेज़ों के तख़्त हिला दिए, बोले नवधर्म लेख।
पांच सौ के इनाम लगे थे, पकड़ो उस रणधीर को,
किंतु कहाँ बाँध पाते वे, देवत्व धारक हीर को।।
न छेड़ी जाति, न धर्म किसी का, केवल न्याय पुकारा,
भेद भाव के द्रोह जला के, समरसता है सदा हमारा।
आदिवासी, दलित, किसान हो, चाहे कोई नारी,
सबके अधिकारों का स्वर बना, क्रांति की सवारी।।
योग, उपवास, तप से साधे, शौर्य ध्यान के दीप,
गुरुकुल, आश्रम, क्रांति संस्थान, ज्ञान के जल सीप।
रांची की कारा में बुझा तन, लेकिन बुझ न सका विचार,
‘बिरसा भगवान’ बनकर गूंजे, भारत के हर द्वार।।
उनके नाम से विश्वविद्यालय, स्टेशन, पार्क, हवाई मण्डल,
उनकी स्मृति में गूँजे हर वर्ष ‘जनजातीय गौरव कमंडल’।
परिसंवाद हो या राष्ट्र धर्म हो, प्रकृति की रक्षा गाथा,
हर चिंतन में बिरसा छाएं, समरस सनातन शुभ माथा।।
हे क्रांति साधक सनातनी योद्धा, तुमको शत–शत नमन,
धरती के देव, धर्म के दीप, संस्कृति के तपस्वी जन।
आपके पदचिह्नों पर चलकर पाए दिशा भारत
राष्ट्रधर्म, प्रकृतिपूजन, भक्ति सेवा में हो महारत।।
हे बिरसा! तू दीपस्तंभ, भारत का तेज संचार,
तेरे चरणों में वंदन कर, जागे भारत अपार।
जय धरती–आबा! जय क्रांति के भाग्य–विधाता!
जय सनातन धर्म–ध्वजाधारी, भारतमाता के दाता!!
धरती की गोद में उगा था जो वृक्ष, वो आज भी छाया देता है।
भगवान बिरसा मुंडा का नाम, युगों तक प्रेरणा देता है!
@Dr. Raghavendra Mishra JNU
8920597559
No comments:
Post a Comment