Monday, 2 June 2025

भारत के चिराग जो दीपक बन चमके...

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, JNU(लेखक/रचनाकार)

जन्म लिया उस आँगन में, जहाँ न्याय की बात उठी,
रामविलास के तेज तले, नई मशाल फिर से जगी।
बिहार की मिट्टी में पले, सपनों की लौ में रंग भरे,
अभिनय को बीच में छोड़े, जन सेवा के पथ पर चले।।

पर अभिनय में न मिली शांति, न था वहाँ वह स्वप्न-स्वर,
जन की सेवा, धर्म बना राजनीति बन गई जीवन-वर।
2014 का जब चुनाव आया, जमुई की माटी ने पुकारा,
जनता ने नेता पहचाना, और जनसभा ने दीप उजारा।।

युवा था, पर जोश में दृढ़, सोच में था परिवर्तन,
'मोदी का हनुमान' बना, लिए विकास का नव-वंदन।
दलितों का मान बढ़ाया, युवाओं में दी एक आवाज़,
राजनीति में ओज भरा, किया समाज को भी आगाज़।।

पिता गए, पर लौ न बुझे, विरासत को थामा विश्वास से,
पारस से अलग राह चली, पर हिम्मत रही साहस से।
LJP को बाँट दिया गया, पर ध्वज वही रामविलास का,
‘रामविलास’ नाम से फिर खड़ा, चिराग बना दीप विकास का।।

2024 की फिर से रणभेरी, NDA ने जो संग बुलाया,
जमुई की माटी फिर मुस्काई, विजयी चिराग को लौटाया।
दलित, युवा, किसान का नेता, भाषण में गूंजे तेज स्वर,
जो कहे "मैं नेतृत्व लूँगा, बनकर नव भारत का क्षितिज भवर।"

वह केवल एक नेता नहीं, एक विचार की नई मशाल है,
जो दुश्मनों से ना झुका, जो युग के प्रश्नों का उत्तरकाल है।
नाम है उसका चिराग, पर कार्यों में सूरज का देश है,
आज के भारत में वह, राजनीति का नया संदेश है।।

@Dr. Raghavendra Mishra 

Contact: 8920597559

mishraraghavendra1990@gmail.com 

No comments:

Post a Comment