Monday, 13 January 2025


*सनातन ज्ञान/ग्रन्थ परम्परा में उज्जैन*

आधुनिक लोग अवन्तिकापुरी को उज्जैन कहते हैं। उज्जैनका दूसरा नाम महाकालपुरी भी है। महाकालपुरीका नाम प्रत्येक युगमें परिवर्तित होता रहता है। इसके सम्बन्धमें कहा गया है-

*कल्पे कल्पेऽखिलं विश्वं कालयेद्यः स्वलीलया।*

*तं कालं कलयित्वा यो महाकालोऽभवत्किल ॥*

(स्क०, का० ख० ७।९१)

*इस स्थान को पृथ्वीका नाभिदेश कहा गया है।* 

द्वादश ज्योतिर्लिंगोंमें महाकाल लिंग यहीं है और इक्यावन शक्तिपीठोंमें यहाँ एक शक्तिपीठ भी है। द्वापर में श्रीकृष्ण-बलराम यहीं महर्षि सांदीपनिके आश्रममें अध्ययन करने आये थे। महाराज विक्रमादित्यके समयमें उज्जयिनी भारतकी राजधानी थी। भारतीय ज्यौतिषशास्त्रमें देशान्तरकी शून्य रेखा उज्जयिनीसे प्रारम्भ हुई मानी जाती थी। यह सप्तपुरियोंमें एक पुरी है। यहाँ बारहवें वर्षमें कुम्भका मेला लगता है।

नारदपुराणका कथन है कि अवन्तीतीर्थका तथा देववन्द्य भगवान्‌का माहात्म्य अपार है। महाकाल वन परम पवित्र एवं परम उत्तम तपोभूमि है। महाकाल वनसे बढ़कर दूसरा कोई क्षेत्र इस पृथ्वीपर नहीं है। यहाँ कपालयोग नामक तीर्थ है, जिसमें भक्तिपूर्वक स्नान करनेसे ब्रह्महत्यारा मनुष्य भी शुद्ध हो जाता है।

अवन्तीके प्रत्येक कल्पमें भिन्न-भिन्न नाम होते हैं। यथा-कनकशृंगा, कुशस्थली, अवन्तिका, पद्मावती, कुमुद्वती, उज्जयिनी, विशाला और अमरावती। जो मनुष्य शिप्रा नदीमें स्नान करके भगवान् महेश्वरका पूजन करता है, वह महादेवजी तथा महादेवीकी कृपासे सम्पूर्ण कामनाओंको पा लेता है।


@Dr. Raghavendra Mishra 

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